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समाजवादी मूल्यों का पर्व है 'हरेला'

हरेला सिर्फ एक त्योहार न होकर उत्तराखंड की जीवनशैली का प्रतिबिंब है। यह प्रकृति के साथ संतुलन साधने वाला त्योहार है। प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन हमेशा से पहाड़ की परंपरा का अहम हिस्सा रहा है। हरियाली इंसान को खुशी प्रदान करती है। हरियाली देखकर इंसान का तन-मन प्रफुल्लित हो उठता है।  इस बार हरेला 17 जुलाई को है। इस दिन पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और वहां के मूल निवासी चाहे वो किसी भी शहर में बसे हो हरेले के त्योहार को मनाएंगे।  नैनीताल विश्वविद्याल से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही नीतू का कहना है कि हरेले के त्योहार में व्यक्तिवादी मूल्यों के स्थान पर समाजवादी मूल्यों की वरियता दिखती है। क्योंकि, इस त्योहार में हम अपने घर का हरेला (समृद्धि) अपने तक ही सीमित न रखकर उसे दूसरे को भी बांटते हैं। यह विशुद्ध रूप से सामाजिक भलमनसाहत की अवधारणा है।  हरेले के त्योहार में भौतिकवादी चीज़ों की जगह मानवीय गुणों को वरियता दी गई है। मानवीय गुण हमेशा इंसान के साथ रहते हैं जबकि भौतिकवादी चीज़ें नष्ट हो जाती हैं। जहां आज प्रकृति और मानव को परस्पर विरोधी के तौर पर देखा जाता है वहीं, हरेले का त्योहार म