एमए दूसरे साल में आते ही दैनिक भास्कर में नौकरी लग गई। रूम में चार लोग रहते थे। एक दोस्त का फोन आया। मुझे लगा शायद बधाई देगा। फोन उठाते ही मैं ख़ुशी-ख़ुशी बोला 'हां भाई'। दूसरी तरफ से जो सुना माथे पर लकीरें खिंच गई। हमारा मुखिया बहुत गुस्से में था बोला 'घर में मिठाई के डब्बे के साथ ही जहर की शीशी भी लेकर आना'। 'दो लोग रात में मिठाई खाएंगे, मैं ज़हर पिऊंगा'। इतना कहते ही फोन कट। मैं इंटरव्यू देकर अभी ऑफिस के बाहर ही खड़ा था। तभी एक और फोन आया। अब मुझे लगा ज़हर की शीशी शायद दो ले जानी होंगी। इस फ़ोन ने सांत्वना के दो शब्द कहे और सूचना दी कि मुखिया साहब 2 घंटे से नंगे बदन बैठे हैं और ज़हर पीने को उतावले हो रहे हैं। 55 सेक्टर से पहले ही खोड़ा उतरकर जलेबी पैक करवा ली। रूम में घुसते ही देखा मातम छाया है। मुखिया बीच में है, दो लोग घेरे बैठे हैं। जलेबी थाली में रख, सबसे पहले मुखिया की तरफ बढ़ाई। 'फुलारा साहब जहर कहाँ है' । 'पहले मीठा खा लो, फिर कड़वा पी लेना' मुखिया को प्रेम से जवाब दिया। 'भुमिहार का कमिटमेंट, सलमान खान से भी पक्का है। आज जहर पीकर ही रहूंग
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.