देश की राजधानी दिल्ली में सरेआम सड़क पर पीट-पीटकर डीटीसी बस के ड्राइवर की हत्या की घटना ने साबित कर दिया है कि इंसान पशुओं से भी ज़्यादा क्रूर और निर्दयी हो गया है। इंसान ने दया, क्षमा और परोपकार की भावनाओं को बिसरा दिया है और हिंसक प्रवृत्ति उसकी आवृत्ति बन गई है। यह कोई पहली घटना नहीं है, जहां इंसान का जानवरों से भी हिंसक और निर्दयी स्वरूप उभरकर समाज के सामने आया हो। इससे पहले दिल्ली का तुर्कमान गेट रोड रेज का गवाह रहा है। अपने आस-पास के माहौल में भी आप पाएंगे कि धैर्य खोकर लड़ना-झगड़ना और एकदम से उग्र हो जाना इंसानी स्वभाव का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। बेहद मामूली चीज़ों पर दूसरे की जान ले लेना मानों कोई जुर्म ही न हो? अखबारों और समाचार चैनलों पर 'मामूली विवाद पर हत्या' की लाइन आम हो गई है। सड़क पर किसी से मामूली-सी बहस में कौन, कब किसकी जान ले ले किसी को नहीं पता? डीटीसी की घटना में अपराधी तो अपने अपराध के लिए दोषी है ही साथ ही मैं मूकदर्शक जनता क्या कम अपराधी है? जनता और कंडक्टर के सामने हेलमेट और ऑक्सीजन सिलेंडर से अशोक को मारा जाता है और लोग तमाशबीन बने रहते हैं।
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.