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अप्रैल 11, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दिल्ली में मन नहीं लगा तो दीवार पर लिखा- मैं अब लौटकर नहीं आऊंगा, फिर उसे कर दिया एक गधे की वापसी- वरिष्ठ साहित्यकार हरिसुमन बिष्ट

प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर हरिसुमन बिष्ट कहते हैं ‘रॉयल्टी को लेकर लेखकों के साथ हेर-फेर करना दु:खद स्थिति है. सरकारों को इसके लिए पहल करनी चाहिए. आख़िर लेखक ही ऐसा क्यों है जो बिल्कुल उपेक्षा का शिकार है. अख़बारों से भी साहित्य गायब हो गया है. वाद-विवाद के केंद्र जहां चर्चाएं होती थी, वो भी कम हो गये हैं. इधर, लेखकों में एक तरह से निराशा का भाव जगा है. यदि सरकारों ने कॉपी राइट के नियम पर कुछ सोचा होता तो निश्चित तौर पर एक नीति बनती और उसके तहत लेखकों को कुछ मिलता.’ अच्छा रचनाकार बनना है तो अति-संवेदनशील होना पड़ेगा वह कहते हैं ‘आज की तारीख़ में अगर आप एक अच्छे रचनाकार होना चाहते हैं, तो आपको अति-संवेदनशील होना पड़ेगा. चीज़ें और परिस्थितियां दिनों-दिन बदल रही हैं.’  असहिष्णुता के नाम पर पुस्कार लौटाने को कैसे देखते हैं?  पूछने पर 65 साल के वरिष्ठ साहित्यकार हरिसुमन बिष्ट कहते हैं कि मैं इसमें स्पष्ट कहता हूं कोई भी संस्था और व्यक्ति अगर आपको सम्मानित करता है, तो सम्मान का आदर होना चाहिए. आपको तिरस्कार के लिए सम्मानित नहीं किया गया है. वह कहते हैं कि राजनीति के बिना साहित्य तो चल नहीं स