ललित फुलारा दूरदर्शन लॉकडाउन के दौरान जनता को स्मृतियों में ले जा रहा है। ये स्मृतियां आधुनिक दौर की स्मृतियों से ज्यादा मीठी, मधुर और सौहार्दपूर्ण हैं। इन स्मृतियों में संयुक्त परिवार है। सीमित संसाधन और सुख है। सामूहिकता और एकजुटता है। घरों में फिर से एक बार भक्तिकाल उमड़ आया है। क्या गांव, क्या कस्बा और क्या शहर, हर जगह रामायण और महाभारत फिर से एक बार वो दौर ले आया है, जहां संयुक्त परिवार एक साथ बैठकर टीवी देखा करते थे। दरअसल, सामूहिकता ही भारतीय समाज की सबसे बड़ी शक्ति है जिसे आधुनिक दौर की व्यक्तिवादिता ने थोडा-सा छिटका दिया था। लेकिन एक महामारी ने इंसान को फिर से संयुक्त परिवार और सामाजिकरण की शक्ति याद दिला दी। रामायण और महाभारत का दूरदर्शन पर प्रसारण इस काल की सबसे बड़ी अद्भुत और शानदार घटना है। इससे दूरदर्शन की टीआरपी में तो उछाल आया ही है, घरों में महामारी के भय के बीच उत्सुकता और आनंद का मौहाल है। रामायण और महाभारत के प्रसारण के वक्त आप किसी बड़ी सोसायटी में रहने वाले उच्च वर्ग से लेकर किसी मौहल्ले में रहने वाले मध्यवर्ग का पारिवारिक वातारण देख लीजिए। आपको परिवार
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.