नब्बू के गांव में इनदिनों काफी रौनक है। मल्ला बाखली से तल्ला बाखली तक के घरों में बच्चों, औरतों और आदमियों की भरमार है। धूणी में सुबह-शाम भजन-कीर्तन हो रहे हैं। ‘ हिटो भुला, हिटो बैंणी पहाड़ जौलों ’ गीत पर महिलाएं जमकर थिरक रही हैं। गांव का रंगीन मिजाज देखकर नब्बू की अलसाई आंखों में चमक आ गई है। नजरें शहरों से आए हमउम्र बच्चों के चौड़े स्कीन वाले स्मार्टफोन पर गड़ी हुई हैं। नब्बू भी इन बच्चों की तरह बैंजी बनाना ’ और ‘ टैंपल रन ’ की दुनिया में खो जाना चाहता है। जैसे ही दिन बित रहे हैं नब्बू के जेहन में एक अजनबी डर उभरने लगा है। पहाड़ फिर से वैसे ही मुर्दा शांति से भर जाएगा ! घरों की धैलियां विरान हो जाएंगी। भजन- कीर्तन से गूंजनी वाली धूणी के बाहर कुत्ते अर्ध तंद्रा में लेटे होंगे। घरों में फिर से बड़े-बड़े ताले लटक जाएंगे। इस तरह का ख्याल दिमाग में कौंधते ही नब्बू की आंखों की रौशनी फिकी पड़ गई। चेहरा मुरझा गया है। लंबी खामोशी के बाद एकदम से तेज आवाज जिस तरह कानों को चुभने लगती है और कई बार दिल में घबराहट पैदा कर देती है, वैसे ही असुरक्षा और डर की भावना ने उसके दिल की ध
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.