'नानीसार' पर घिरती रावत सरकार 'नानीसार' ने पहाड़ के लोगों को एक बार फिर आंदोलन के लिए सड़कों पर उतार दिया है। 'ज़मीन' बनाम ज़मीर का यह संघर्ष उबाल पर है। गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दल मुख्यमंत्री हरीश रावत को सत्ता से बेदखल करने के लिए जोरदार तरीके से लामबंध हो चुके हैं। ज़मीन की लूट से शुरू हुआ यह जनसंघर्ष अब एक राजनीतिक संघर्ष और विकल्प की तलाश का जरिए बना गया है। अब देखना यह है कि नानीसार के बहाने उत्तराखंड में जो नई राजनैतिक चेतना विकसित हो रही है वह कहां तक सफल हो पाती है। जानकारों का मानना है कि 'नानीसार संकट', नानीसार में इंटरनेशल स्कूल बनाने का ही नहीं है बल्कि पहाड़ के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का संकट है। पहाड़ इस संकट को कई दशकों से झेल रहा है। हिमालयी क्षेत्र की जनता हर दशक में शोषण का शिकार हुई है और राज्य बनने के बाद जो उम्मीदें जगी थीं उनके बीच पहाड़ ने खुद को ठगा- सा महसूस किया है। जनसरोकारों से जुड़े लोगों का कहना है कि उत्तराखंड में एक नए तरह की राजनैतिक चेतना के विकास की जरूरत है। जल, जंगल और जमीन को समझने वाली सरकार
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.