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साहित्य में नहीं होती कोई शर्त, सब सुखों से बढ़कर है लेखन­­­­­

‘लेखक से मिलिये’ में इस बार लेखिका सिनीवाली. उनका कहानी संग्रह ‘गुलाबी नदी की मछलियां’ खासा चर्चित रहा है. सिनीवाली से बातचीत के संपादित अंशों को पढ़िये. सिनीवाली कहती हैं, ‘लेखक का पहला दायित्व होता है कि वो कमजोर, पीड़ित और शोषित के पक्ष में खड़ा हो क्योंकि जहां कोई खड़ा नहीं होता है, वहां साहित्य खड़ा होता है. साहित्य के साथ शर्त नहीं होनी चाहिए. जिसका कोई सहारा नहीं है, वो साहित्य की ओर देखता है.’ लेखकों को मिलने वाली रॉयल्टी को लेकर सवाल पूछे जाने पर सिनीवाली जवाब देती हैं कि यह शिकायत स्वाभाविक सी बात है क्योंकि वैसी पारदर्शिता अभी प्रकाशक एवं लेखक के बीच नहीं आई है कि रॉयल्टी पर बात भी करें. सब सुखों से बढ़कर है लेखन सिनीवाली कहती हैं कि लेखन का काम सब सुखों से बढ़कर होता है. उस सुख के लिए ही लेखक लिखता है. जब लेखक लिखना शुरू करता है, तो उसको पता नहीं होता है कि उसको प्रसिद्धि मिलेगी कि नहीं. कुछ तय नहीं है, लेकिन उसकी जो एक भूख है, आत्मा की भूख, उस भूख के लिए वो लिखेगा, उस दर्द के लिए लिखेगा. उनसे पूछा गया था कि लेखक को जब रॉयल्टी सही से नहीं मिलती है, तो वो फिर क्यों लिखता है?