दिल्ली विधानसभा चुनाव भारत की राजनीति का 'राम-रावण' युद्ध से कमतर नहीं है। हालांकि, राम-रावण युद्ध और दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई साम्य नहीं है, लेकिन कार्यकर्ता हर उस चीज में साम्य बना देते हैं, जिससे वो अपनी बात और बेहतर तरह से कर पाएं। 'राम-रावण युद्ध' बिल्कुल नई टर्मिनॉलोजी है। लेकिन, इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बात किस पार्टी के समर्थक ने कही होगी।-- चाय की दुकान पर पार्टी कार्यकर्ता होने का फर्ज निभा रहे उस व्यक्ति से बात का भावार्थ समझते हुए जब पूछने की कोशिश की गई कि 'राम-रावण' युद्ध में 'बेदी' कहां ठहरती है? तो उसने बिना किसी हिचक के कहां- 'बलि का बकरा'.. पढ़े लिखे उस पार्टी कार्यकर्ता ने बाकायदा अंग्रेजी उच्चारण किया- स्कैप्गोट (Scapegoat) । उसकी बात से बचपन में पढ़े बांकेलाल की कॉमिक्स 'बलि का बकरा' याद आ गई! राजनीति ज्ञान में माहिर उस व्यक्ति ने फरमाए..चुनाव जीते तो जय मोदी...नमो..नमो और हारे तो बलि की 'बेदी'! घर बना राजनीति का अखाड़ा दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही अपना घर भी
ललित फुलारा पत्रकार और लेखक हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में एम.ए किया। दैनिक भास्कर , ज़ी न्यूज़ , राजस्थान पत्रिका, न्यूज़18 और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं. वर्तमान में ज़ी मीडिया में चीफ-सब एडिटर हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 2022 में कैंपस-यूथ आधारित नॉवेल 'घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी' प्रकाशित हुआ। उपन्यास को साहित्य आज तक ने शीर्ष दस किताबों में शामिल किया.