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जनवरी 22, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नुक्कड़ बहस- दिल्ली का दंगल

दिल्ली विधानसभा चुनाव भारत की राजनीति का 'राम-रावण' युद्ध से कमतर नहीं है। हालांकि, राम-रावण युद्ध और दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई साम्य नहीं है, लेकिन कार्यकर्ता हर उस चीज में साम्य बना देते हैं, जिससे वो अपनी बात और बेहतर तरह से कर पाएं। 'राम-रावण युद्ध' बिल्कुल नई टर्मिनॉलोजी है। लेकिन, इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बात किस पार्टी के समर्थक ने कही होगी।-- चाय की दुकान पर पार्टी कार्यकर्ता होने का फर्ज निभा रहे उस व्यक्ति से बात का भावार्थ समझते हुए जब पूछने की कोशिश की गई कि 'राम-रावण' युद्ध में 'बेदी' कहां ठहरती है? तो उसने बिना किसी हिचक के कहां- 'बलि का बकरा'.. पढ़े लिखे उस पार्टी कार्यकर्ता ने बाकायदा अंग्रेजी उच्चारण किया- स्कैप्गोट (Scapegoat) । उसकी बात से बचपन में पढ़े बांकेलाल की कॉमिक्स 'बलि का बकरा' याद आ गई! राजनीति ज्ञान में माहिर उस व्यक्ति ने फरमाए..चुनाव जीते तो जय मोदी...नमो..नमो और हारे तो बलि की 'बेदी'! घर बना राजनीति का अखाड़ा दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही अपना घर भी