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तुम हो, तो मैं हूं

तुम हो, तो मैं हूं
तुम्हारा प्यार
मेरे सपनों का साकार होना है
तुम्हारी हंसी-खुशी
मेरे सारे गमों को भूल जाना है
तुम्हें देखना, तुमसे बातें करना
साथ बैठना
मेरा, मेरा होना है।।


तुम्हें पता है?
मेरे लिए क्या हो तुम?
सांस हो
चेतना हो
बंजर भूमि की खेती हो
मरुस्थल का जल हो
ईद का चांद और दिवाली का दीपक हो तुम
बस इतना सुनो
तुम हो, तो मैं हूं।।

     ललित फुलारा

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