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क्या काल्पनिक पात्र हैं ईसा मसीह? क्या कहता है ईसाई और गैर-ईसाई लेखन...डॉक्यूमेंट्री के बहाने विमर्श

पश्चिमी मीडिया में इनदिनों एक डॉक्यूमेंट्री ने ईसा मसीह को लेकर बहस खड़ी कर दी है। 67 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री ईसा मसीह को ग्रीक अपोलोनियस बताती है। ''बाइबल कॉन्सप्रेसीज' नाम की इस डॉक्यूमेंट्री में ईसा मसीह को काल्पनिक पात्र बताया गया है। एनिमेशन और स्टोक इमेजीज के जरिए डॉक्यूमेंट्री में नेरेटर सवाल पूछता है कि क्या ईसा मसीह वास्तविक थे? क्या ईसा के चरित्र को गढ़ा गया था?

यह डॉक्यूमेंट्री 2016 में रिलीज हुई थी और अपने कंटेंट को लेकर विवादों में रही।


कहां से हुई बहस की शुरुआत?

इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर स्पुतनिक न्यूज वेबसाइट ने एक खबर लगाई जिसका शीर्षक था- ''ईसा मसीह यहूदी नहीं थे''। इसके बाद इंडिपेंटेंड में इस पर एक लंबा लेख छपा। डॉक्यूमेंट्री का मानना है कि ऐतिहासिक व्यक्तित्व के तौर पर ईसा मसीह का कोई अस्तित्व नहीं है। न्यू टेस्टामेंट में उनका जो विवरण मिलता है वो वास्तव में अपोलोनियस के कारनामों से प्रभावित है और उनको ही ईसा मसीह के चरित्र में गढ़ा गया है।


क्या अपोलोनियस ही थे ईसा मसीह?

डॉक्यूमेंट्री बताती है कि ग्रीक इतिहास में अपोलोनियस को समर्पित कई स्मारक थे लेकिन ईसा को समर्पित न ही कोई प्रतिमा है और न ही कोई स्मारक व मंदिर।  डॉक्यूमेंट्री का दावा है कि शुरुआती ईसाईओं ने अपोलोनियस द्वारा किए गए चमत्कारों के विवरणों को दबा दिया था। उन्हें अपोलोनियस के चमत्कारों और विवरणों से इस बात का डर था कि इससे ईसा मसीह के ऐतिहासिकता को लेकर सवाल उठेंगे।



डॉक्यूमेंट्री का दावा है कि ईसा मसीह के वास्तविक ऐतिहासिक चरित्र होने को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। इस डॉक्यूमेंट्री के तथ्यों को कई शिक्षाविद खारीज भी कर रहे हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में न्यू टेस्टामेंट की लेक्चरार साइमन गैदरकोल कहती हैं कि प्राचीन ग्रीक में अपोलोनियस बेहद प्रसिद्ध व्यक्ति थे, जिनकी अक्सर ईसा मसीह से तुलना होती है। साइमन ईसा मसीह के वास्तविक पात्र नहीं होने के दावे को पूरी तरह से खारीज करती हैं। वह इसे ग्रीक दार्शनिकों का मिथक करार देती हैं। उनका कहना है कि ईसा मसीह के ऐतिहासिक अस्तित्व को लेकर किसी भी तरह की शंका तथ्यात्मक नहीं है।


सबसे पहले सेंट पॉल के खतों में मिलता है ईसा मसीह का जिक्र

साइमन गैदरकोल कहती हैं कि ईसा मसीह की मौत के 20 साल बाद लिखे गए सेंट पॉल के खतों के जरिए ईसा की प्रमाणिकता मिलती है। न्यू टेस्टामेंट का हिस्सा भी उन लोगों द्वारा लिखा गया है जो जीसस को जानते थे। पॉल की चिट्ठियां 50 ईंसवी पूर्व में लिखी गई थी और इनमें महिला की कोख से ईसा के जन्म का विवरण है। ऐसे में इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता कि ईसा मसीह यहूदी थे, वो ग्रीक नहीं थे। साइमन संभावना जताती हैं कि अपोलोनियस जो कि 15 से 100 वीं शताब्दी पूर्व के बीच हुए, उनकी  जीवनी के हिस्से ईसा मसीह की जिंदगी से लिए गए हों। वो कहती हैं कि अपोलोनियस की जीवनी को फिलोस्ट्राटस ने सेंट पॉल के खतों के 200 साल बाद लिखा ।

126 ऐतिहासिक किताबों के दावे से ईसा को बताया काल्पनिक

ईसा मसीह के काल्पनिक और वास्तविक ऐतिहासिक चरित्र होने को लेकर पश्चिम के विद्वानों में एकराय नहीं है। लेखक माइकल पॉलकोविच ने अपनी किताब ''नो मीक मसीहा'' में ईसा मसीह के अस्तित्व को नकारा है। उन्होंने लिखा है कि ईसा मसीह इतिहास में कभी अस्तित्व में थे ही नहीं। पॉलकोविच ने इस बात का दावा ईसा मसीह के वक्त के 126 इतिहासकारों व लेखकों की किताबों के निष्कर्ष से किया है। पहले से लेकर तीसरी शताब्दी पूर्व में लिखी गई 126 किताबों के हवाले से माइकल पॉलकोविच का दावा है कि ईसा मसीह के चरित्र को गढ़ा गया था। उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि ईसाइत के अनुयाइयों ने पूजा के लिए ईसा के काल्पनिक चरित्र को गढ़ा। 

ईसाई लेखन क्या कहता है ईसा मसीह को लेकर?
ईसाई लेखन में सबसे पहले सेंट पॉल कि किताब में ईसा मसीह का जिक्र मिलता है। स्कॉलर्स इस बात को मानते हैं कि ये पहले प्रमाणिक दस्तावेज हैं जिनसे ईसा मसीह की प्रमामिकता सिद्ध होती है। ईसा मसीह की मौत के 25 साल बाद सेंट पॉल ने अपने खतों में उनका जिक्र किया। वहीं, पॉलकोविच कहते हैं कि सेंट पॉल की किताब के बाद के चैप्टर्स में ईसा का जिक्र मिलता है। ऐसे में हो सकता है कि संशोधित एडिशन में ईसा को लेकर चैप्टर जबरन डाला गया हो। ईसाई इतिहासकार कहते हैं कि ईसा मसीह के पूरे जीवन का विवरण उनकी मौत के 40 साल बाद न्यू टेस्टामेंट गोस्पेल में मिलता है। 

गैर-ईसाई लेखन में ईसा को लेकर क्या कहा गया है?
चर्च के बाहर के पहले लेखक जिन्होंने ईसा मसीह का जिक्र किया वो इतिहासकार फ्लेवियस जोसेफस थे। उन्होंने यहूदी धर्म का इतिहास लिखा है। प्लेवियस जोसेफस ने ईसा मसीह को लेकर दो रेफरेंसेस लिखे हैं जिनमें से एक विवादास्पद है। जोसेफस के 20 साल बाद रोमन राजनीतिज्ञ प्लिनी और टैसिटस ने जीसस के बारे में लिखा है। इन दोनों के बीच भी आम सहमती नहीं है।



फ्रेंच फिलोसफर मिशेल ऑनफ्रे ने भी अपनी किताब में ईसा मसीह को काल्पनिक बताया है। उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि ईसा मसीह का अस्तित्व सिर्फ एक विचार है जिसका इतिहास से कोई संबंध नहीं है। ईसा मसीह को लेकर हॉलीवुड में भी कई फिल्में बनी हैं जो वक्त-वक्त पर विवादित रही हैं।  उनकी प्रमाणिकता को लेकर कई शोध होते रहते हैं और लंबा विचार-विमर्श भी चलता है। इससे पहले भी एक बार ईसा मसीह को लेकर यह दावा किया गया था कि वो क्लियोपेट्रा के पोते थे। यह दावा एक सिक्के के आधार पर किया गया था जिसमें ईसा मसीह ने मकुट पहना था। यहूदी, ईसाई और रोम लेखकों के दस्तावेजों में ईसा का जिक्र मिलता है।

पश्चिम में ईसा मसीह के अस्तित्व, जन्म और मृत्यु को लेकर काफी शोध हुए हैं। इनमें से एक तुरिन का कफन है। इसमें उस कपड़े को खोजने का दावा किया गया जिसमें ईसा मसीह को दफनाया गया था। कपड़े पर  ईसा मसीह की आकृति भी उकरी हुई थी। इसे 1578 ईसवी से तुरिन में कैथेड्रल ऑफ सेंट जॉन द बैप्टिस्ट चर्च में रखा गया है। लेकिन, बाद में हुए शोध में इस कपड़े का ईसा मसीह से कोई संबंध नहीं बताया गया। 14 फुट के इस कपड़े का ईसा से कोई संबंध नहीं बताया गया। इस कपड़े पर क्रूसिफाईड व्यक्ति की इमेज बनी हुई थी। हालांकि ऐसे कई चीज़ें है जिनको ईसा-मसीह के जीवन और मृत्यु से जोड़ा गया लेकिन इनकी प्रमाणिकता पर सवाल उठते रहे। 1988 में स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका में हुए शोधों में कहा गया कि तुरिन का कफन मध्य युग में 1260 और 1390 ईसवी के बीच का है। 2013 में इटली के वैज्ञानिकों ने इसे 280 ईसवी पूर्व से लेकर 220 ईसवी के बीच का बताया।  


ललित फुलारा




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